अमेरिकी टैरिफ से आगरा के जूता और हस्तशिल्प निर्यात पर संकट, निर्यातक चिंतित
टैरिफ बढ़ाने से अमेरिकी बाजार में निर्यात अटका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों के निर्यात पर पुनः 25% टैरिफ लगाने की घोषणा से आगरा के जूता और हस्तशिल्प निर्यातकों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है। अप्रैल में पहली बार टैरिफ लागू होने के बाद निर्यात में गिरावट आई थी, लेकिन जुलाई में मिली छूट से व्यापार में सुधार हुआ था। अब फिर से टैरिफ बढ़ने से निर्यात के ऑर्डर अनिश्चितता के घेरे में फंस गए हैं।
आगरा के निर्यातकों की चिंता बढ़ी
आगरा से जूता निर्यात लगभग 5000 करोड़ रुपये का है, जिसमें अमेरिकी बाजार का बड़ा हिस्सा शामिल है। निर्यातकों का कहना है कि टैरिफ की वजह से लगभग 10% का नुकसान हो रहा है। यदि जुर्माना भी लगाया गया तो यह नुकसान और बढ़ जाएगा, जिससे व्यापार करना मुश्किल हो जाएगा।
हस्तशिल्प निर्यातकों का मानना है कि 10% शुल्क तो अमेरिकी खरीदार के साथ साझा किया जा सकता है, लेकिन 15% का नुकसान सहन करना संभव नहीं होगा।
हस्तशिल्प उद्योग पर भी संकट
हस्तशिल्प निर्यातक और हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अस्थाना ने बताया कि संगमरमर पर की गई पच्चीकारी और स्टोन हैंडीक्राफ्ट का अमेरिका बड़ा बाजार है। दशकों की मेहनत से आगरा के हस्तशिल्प ने अमेरिकी बाजार में अपनी पहचान बनाई है। टैरिफ के कारण इस उद्योग के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
विशेषज्ञों का बयान और भविष्य की चिंता
फुटवियर निर्यातक प्रदीप वासन ने बताया कि सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका में आगरा के फुटवियर ने मजबूती से जगह बनाई थी। अब टैरिफ की वजह से व्यापार में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिसके कारण ऑर्डर रुके हुए हैं और उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
आगरा टूरिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रह्लाद अग्रवाल ने कहा कि हस्तशिल्प निर्यात पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रहा था। अमेरिकी टैरिफ के कारण बड़ी समस्याएं बढ़ जाएंगी। यदि जुर्माना भी लगाया गया तो कारीगरों का रोजगार खतरे में आ जाएगा, और वे अन्य क्षेत्रों की ओर पलायन कर सकते हैं।
निष्कर्ष
टैरिफ की नई नीति से आगरा के जूता और हस्तशिल्प निर्यातकों को भारी नुकसान होने की आशंका है। निर्यातकों और कारीगरों के लिए यह वक्त चिंताजनक है, क्योंकि अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग घटने से रोजगार संकट गहरा सकता है।