आगरा: अधूरे पड़े पुल निर्माण, 15 साल से लटके–लटके लागत बढ़ी 71.13 करोड़ रुपये
आगरा में नदियों और रेलवे लाइनों के ऊपर बनने वाले कई पुलों का निर्माण दशकों से अधूरा पड़ा है। आधा दर्जन से अधिक पुल अब तक धरातल पर नहीं उतर पाए हैं, जबकि उनकी लागत में 71.13 करोड़ रुपये का इजाफा हो चुका है। यह लेटलतीफी और धीमी प्रगति क्षेत्र के लोगों के लिए भारी समस्या बनी हुई है।
अधूरे पुलों की स्थिति
रावली मंदिर रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी): 15 साल से निर्माण अधूरा पड़ा है।
दक्षिणी बाईपास पर रुनकता से रोहता मार्ग जोड़ने वाला आरओबी: 7 साल से अधर में है।
यमुना नदी पर मेहरा नहारगंज में अनवारे पुल: 15 साल से अधूरा है, जो आगरा और फिरोजाबाद को जोड़ने वाला था।
यमुना नदी पर आनंदी भैरों से डेरा बंजारा तक प्रस्तावित पुल: 2023 में स्वीकृत होने के बावजूद अभी तक ईंट भी नहीं रखी गई।
रेणुका धाम के पास यमुना नदी पर रुनकता को बल्देव मार्ग से जोड़ने वाला पुल: केवल पिलर खड़े हुए हैं, पुल अधूरा।
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आर्थिक नुकसान और लागत में वृद्धि
रावली मंदिर आरओबी की लागत में 9.13 करोड़ रुपये का इजाफा।
दक्षिणी बाईपास के आरओबी में 17.92 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी।
रुनकता से रोहता मार्ग के आरओबी निर्माण की लागत में 20 करोड़ रुपये की वृद्धि।
लेटलतीफी के कारण इन पुलों की कुल लागत 71.13 करोड़ रुपये बढ़ी।
क्षेत्रवासियों को हो रही परेशानी
पुल निर्माण न होने के कारण लगभग 50 गांव के लोगों को 25 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। कुल मिलाकर करीब 100 गांव प्रभावित हैं। बन जाने पर ये पुल लगभग 2 लाख लोगों की यात्रा को सुविधाजनक बनाएंगे, लंबी दूरी और समय की बचत करेंगे।
विशेषज्ञों की राय
जन प्रहरी संस्था के संयोजक नरोत्तम सिंह का कहना है कि पुलों के निर्माण की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि इस लेटलतीफी को समझा और सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।