
Agra News: जिला अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट और मारपीट के मामलों में मेडिको लीगल प्रक्रिया के नाम पर भारी भरकम वसूली का पर्दाफाश हुआ है। यह गोरखधंधा वर्षों से जारी था, लेकिन अब फर्जी हस्ताक्षर के एक मामले के सामने आने के बाद इसमें शामिल डॉक्टर, अधिकारी, कर्मचारी और दलालों की भूमिका बेनकाब हो गई है।
जानकारी के अनुसार, अस्पताल में बिना किसी डर के डॉक्टर मोटी रकम लेकर मेडिकल सर्टिफिकेट बना रहे थे। मारपीट के केसों में गंभीर चोट दर्शाने के लिए 20,000 से लेकर 1,00,000 रुपये तक की वसूली की जा रही थी। सर्टिफिकेट के बदले ये रकम दलालों के ज़रिए ली जाती थी और इसमें डॉक्टरों की मिलीभगत भी थी।
घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके अरोरा के फर्जी हस्ताक्षर वाले एक मेडिकल सर्टिफिकेट की शिकायत सामने आई। यह सर्टिफिकेट 5 मई को सर्जरी ओपीडी के कमरा संख्या 207 से डॉक्टर धर्मवीर सिंह द्वारा राजकुमारी नामक महिला के नाम पर जारी किया गया था। जांच में सामने आया कि यह सर्टिफिकेट अस्पताल के इलेक्ट्रीशियन दिनेश शर्मा की सिफारिश पर बना और उस पर प्रमुख अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर कर प्रतिहस्ताक्षर भी किए गए।
डॉ. अरोरा ने इस पूरे मामले की शिकायत थाना रकाबगंज में दर्ज कराई है, जिसके आधार पर डॉक्टर धर्मवीर सिंह और इलेक्ट्रीशियन दिनेश शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इस खुलासे के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया है।